नमस्कार दोस्तों, हिंदी अपडेट (Hindi Update) में आपका स्वागत हैं | हम यहाँ पर आप सभी लोगों के लिए सारी जानकारी हिंदी में लेकर उपस्थित हुए हैं | दोस्तों आज हम आपको “रथयात्रा कब और क्यों मनाया जाता हैं?“ के बारे में बताने जा रहे हैं अगर आपको रथयात्रा के बारे में पूरी जानकारी चाहिए तो हमारे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े | हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से इसके बारे में पूरी जानकारी प्रदान करेंगे|
दोस्तों, रथ यात्रा के बारे में बहुत से लोगों को जानकारी होगी लेकिन कुछ लोगो को इसके बारे में पता ही नहीं होगा की “रथयात्रा कब और क्यों मनाया जाता हैं?” रथयात्रा भारतवर्ष में मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध त्यौहार हैं | इस रथयात्रा के त्यौहार भारतवर्ष में काफी हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाता हैं |
इस त्यौहार का भव्य आयोजन खासकर के दो शहरों उड़ीसा के जगन्नाथपुरी और गुजरात के अहमदाबाद में होता हैं | इस दिन भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और और उनकी बहन देवी सुभद्रा की रथ यात्रा निकली जाती हैं |
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भारत में उड़ीसा राज्य के तटवर्ती शहर जगन्नाथपुरी में भगवान जगन्नाथ का सुप्रसिद्ध मंदिर स्थित हैं | यह भारत के प्राचीन मंदिरो में से एक हैं | जगन्नाथपुरी शहर को मुख्यत: पुरी के नाम से जाना जाता हैं और इस जगन्नाथपुरी मंदिर को भारत के चार धामों में से एक धाम माना गया हैं |
जगन्नाथपुरी मंदिर में भगवान् श्रीकृष्ण, बलराम और उनकी बहन देवी सुभद्रा की पूजा की जाती हैं | यहाँ पर रथ यात्रा आषाढ़ माह की शुक्लपक्ष की द्वितीया को शुरू होती हैं | इस दिन रथ यात्रा उत्सव में शामिल होने और रथ खींचने की लिए भारी भीड़ जमा रहती हैं |
यह यात्रा वर्ष में एक बार होती हैं | भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और और उनकी बहन देवी सुभद्रा को गर्भ गृह से निकालकर, रथ में बैठकर यह यात्रा कराई जाती हैं, क्योंकि इस यात्रा के पीछे यह मान्यता हैं की भगवान अपने गर्भ गृह से निकलकर प्रजा के सुख-दुःख को खुद देखते हैं | यह उत्सव पुरे 9 दिनों तक मनाया जाता हैं | तो चलिए आज हम आपको विस्तारपूर्वक बताएँगे की रथ यात्रा कब, क्यों और कैसे मनाई जाती हैं |
रथ यात्रा (Rath Yatra in Hindi)

रथ यात्रा एक ऐसा त्यौहार हैं जिसे बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता हैं | जगन्नाथपुरी और अहमदाबाद के अलावा पुरे देश के कई शहरो में भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकली जाती हैं | रथयात्रा को लेकर बहुत सी मान्यताएं प्रचलित हैं | उनमे से एक मान्यता यह है की एक बार भगवान जगन्नाथ की प्रिय बहन देवी सुभद्रा को नगर देखने की इच्छा हुई | तो उन्होंने भगवान से नगर दर्शन कराने की प्रार्थना की तो भगवान जगन्नाथ ने अपनी बहन की रथ में बैठकर नगर का भ्रमण करवाया | जिसके बाद से हर वर्ष भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती हैं |
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इस रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ, बलराम और उनकी बहन सुभद्रा की प्रतिमाएं रखी जाती हैं और उनको नगर का भ्रमण करवाया जाता हैं | भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के दौरान तीन रथ जो की लकड़ी के बने होते हैं | जिन्हे श्रद्धालु खींचते हैं | भगवान जगन्नाथ का रथ सबसे बड़ा होता हैं जिसमे 16 पहिये लगे होते हैं उसके बाद श्री बलराम के रथ में 14 पहिये तथा देवी सुभद्रा के रथ में 12 पहिये लगे होते हैं | यह यात्रा हिन्दू धर्म में बेहद खास होती हैं क्योंकि इस यात्रा का उल्लेख ब्रह्म पुराण, नारद पुराण, स्कन्द पुराण, पद्म पुराण इत्यादि में मिलता हैं |
रथयात्रा कब मनाया जाता हैं ?
भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल की द्वितीया को जगन्नाथपुरी से प्रारम्भ होती हैं | यह रथयात्रा 10 दिनों तक चलती हैं | इस रथयात्रा को पुरे देश में धूमधाम से मनाया जाता हैं खासकर के जगन्नाथपुरी में | इस दिन लाखों श्रद्धालुओं की भारी भीड़ मौजूद रहती हैं |
भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा की तैयारी की शुरुवात बसंत पंचमी से ही हो जाती हैं एवं उनके रथ का निर्माण भी नीम के पेड़ की चुनिंदा लकड़ियों से ही तैयार किया जाता हैं और इस रथ निर्माण में किसी भी प्रकार के धातु का प्रयोग नहीं किया जाता हैं |
रथयात्रा क्यों मनाया जाता हैं ?
रथयात्रा की शुरुवात जगन्नाथपुरी से हुई हैं, इसके बाद यह त्यौहार पुरे भारतवर्ष में मनाया जाने लगा | रथयात्रा के बारे में यह भी मान्यता हैं की एक बार भगवान जगन्नाथ की प्रिय बहन देवी सुभद्रा को नगर देखने की इच्छा हुई | तो उन्होंने भगवान से नगर दर्शन कराने की प्रार्थना की तो भगवान जगन्नाथ ने अपनी बहन की रथ में बैठकर नगर का भ्रमण करवाया | जिसके बाद से हर वर्ष भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती हैं |
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भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा में तीन रथ होते हैं | पहला रथ जो सबसे आगे होता हैं जिसमे श्रीबलराम जी होते हैं उस रथ में 14 पहिये होते हैं | दूसरा रथ जो बीच में होता हैं जिसमे देवी सुभद्रा बैठी रहती हैं | उस रथ में 12 पहिये होते हैं तथा तीसरा रथ जो सबसे पीछे होता है जिसमे स्वयं भगवान श्री जगन्नाथ होते हैं | उस रथ में 16 पहिये होते हैं और लोग बड़ी श्रद्धा से इन रथों को अपने हाथों से खींचते हैं |
रथ का पूर्ण विवरण
क्रं0 सं0 | किनका रथ हैं | रथ का नाम | रथ की ऊंचाई | रथ में मौजूद पहिये | लकड़ी के टुकड़े | कपडे का रंग |
1. | श्री जगन्नाथ/श्रीकृष्ण | गरुणध्वज/नंदीघोष/कपिलध्वज | 13.5 मीटर | 16 | 832 | लाल और पीला |
2. | श्री बलराम | लंगलध्वज/तलध्वज | 13.2 मीटर | 14 | 763 | लाल और हरा |
3. | देवी सुभद्रा | पद्मध्वज/देवदलन | 12.9 मीटर | 12 | 593 | लाल और काला |
रथयात्रा की कहानी
रथयात्रा की कई कहानियां प्रचलित हैं उसमे से एक यह हैं की राजा इन्द्रद्युम्न अपने पुरे परिवार सहित नीलांचल सागर के पास निवास करते थे | उन्हें एक बार समुन्द्र में एक लकड़ी तैरती हुई दिखाई दी | राजा ने उस लकड़ी को समुन्द्र से निकलवाया और विचार किया की क्यों न इस लकड़ी से भगवान की मूर्ति बनवायी जाये | राज इस बात पर विचार कर ही रहे थे तभी बूढ़े बढ़ई के रूप में विश्वकर्मा जी प्रकट हो गए |
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ब्रह्माजी जो की बूढ़े बढ़ई के वेश में प्रकट हुए थे, उन्होंने मूर्ति बनाने की इच्छा व्यक्त की और एक शर्त भी रखी, की जबतक वह कमरे में भगवान की मूर्ति बनाएंगे तब तक उस कमरे में कोई भी व्यक्ति प्रवेश नहीं करेगा | बूढ़े बढ़ई द्वारा रखी गई इस शर्त को राजा ने सहर्ष स्वीकार कर लिया |
इस घटना के कई दिन बीत जाने के पश्चात महारानी को लगा की वह बूढा बढ़ई कई दिनों से भूखे रहने के कारण कही मर तो नहीं गया | महारानी ने अपनी शंका को राजा से भी व्यक्त किया | उसके बाद राजा ने उस कमरे को खुलवाया और बढ़ई की खोजबीन की तो वह बूढा बढ़ई कही नहीं मिला | लेकिन उसके द्वारा बनायी जा रही अर्द्धनिर्मित मूर्ति जो की भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम और बहन सुभद्रा की थी वह मिली |
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इस घटना के कारण राजा और महारानी काफी दुखित थे की उसी समय वह आकाशवाणी हुई की आप व्यर्थ दुखी मत हो | आप इन मूर्तियों को पवित्र कर स्थापित करवा दो | आज वही अर्धनिर्मित मूर्ति जगन्नाथपुरी मंदिर में विराजमान हैं | इन्ही मूर्ति की भक्त पूजा अर्चना करते हैं और यही मूर्तियां रथयात्रा में शामिल भी होती हैं |
रथयात्रा का महत्व
जगन्नाथपुरी का यह धाम चार धामों में से एक धाम हैं | ऐसा कहा जाता हैं की जिन लोगो को रथयात्रा के दौरान रथ खींचने का सौभाग्य मिलता हैं वह बहुत भाग्यवान माने जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती हैं | इस कारण रथयात्रा के दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहते हैं और भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचने का प्रयास करते हैं, ताकि उनके कष्ट दूर हो और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो |
वर्ष 2020 में रथयात्रा कब हैं ?
वर्ष 2020 में रथयात्रा 23 जून 2020 दिन मंगलवार को हैं |
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निष्कर्ष:-
हमने इस पोस्ट में आपको “रथयात्रा कब और क्यों मनाया जाता हैं? “ के बारे में बताने का प्रयास किया | मुझे उम्मीद है की आपको मेरा यह लेख जरूर पसंद आया होगा | अगर आपके मन में इस Article को लेकर कोई भी Doubts है या आप चाहते है की इसमें कोई सुधार हो तो आप हमें नीचे दिए Comments में लिख सकते हैं | अगर आपको हमारा पोस्ट पसंद आया तो आप हमारी इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा Social Media पर Share भी कर सकते हैं |
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