नवरात्रि पर निबंध (Essay on Navratri)

नमस्कार दोस्तों, हिंदी अपडेट (Hindi Update) में आपका स्वागत हैं | हम यहाँ पर आप सभी लोगों के लिए सारी जानकारी हिंदी में लेकर उपस्थित हुए हैं | दोस्तों आज हम आपको “नवरात्रि” के बारे में निबंध के माध्यम से बताने जा रहे हैं अगर आपको नवरात्रि के बारे में पूरी जानकारी चाहिए तो हमारे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े | हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से इसके बारे में पूरी जानकारी प्रदान करेंगे|

भारत में नवरात्रि का त्यौहार 9 दिनों तक बहुत ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि त्यौहार के आख़िरी दिन विजयादशमी यानि विजय का उत्सव मनाया जाता है | पौराणिक कथाओं के अनुसार दशमी के दिन ही भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था। इसलिए इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता हैं और रावण का प्रतीकात्मक पुतला जलाया जाता हैं |

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सदियों से हम नवरात्रि का त्योहार धूमधाम से मनाते आ रहे हैं, व्रत रखते आ रहे हैं। आज के समय में देश के अलग-अलग राज्यों के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से इस त्योहार को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। कहीं पूरी रात कुछ लोग गरबा खेलते हैं और कुछ लोग आरती कर नवरात्रि के व्रत रखते हैं तो वहीं कुछ लोग व्रत और उपवास रख माँ दुर्गा और उसके 9 अवतारों की पूजा करते हैं, माँ दुर्गा के 9 अवतारों के नाम हैं – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री।

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नवरात्रि पर निबंध (Essay on Navratri in Hindi)

Navratri

प्रत्येक वर्ष नवरात्रि का यह त्यौहार मुख्य रूप से दो बार मनाया जाता है, हिंदी कैलेंडर के अनुसार पहला नवरात्रि चैत्र मास में मनाया जाता है तथा दूसरा नवरात्रि अश्विन मास में मनाया जाता है। ठीक वैसे ही अंग्रेजी महीनों के अनुसार पहला नवरात्रि मार्च/अप्रैल एवं दूसरा नवरात्रि सितम्बर/अक्टूबर में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

नवरात्रि के समय 9 दिनों तक चलने वाली पूजा-अर्चना के बाद दसवें दिन को दशहरा के रूप में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। नवरात्रि का यह पवित्र त्यौहार 9 दिनों तक चलता है और इसमें 9 दिनों तक माँ दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है इसलिए इस त्यौहार को नवरात्रि के नाम से जाना जाता हैं |

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उत्तर भारत में कई जगहों पर नवरात्रि के नौवें दिन ‘कन्यापूजन’ भी नवरात्रि के दौरान किया जाता हैं और इस पूजा में 9 छोटी लड़कियों को माँ दुर्गा के नौ रूप मानकर उनकी पूजा की जाती है और साथ ही उन्हें हलवा, पूरी और मिष्ठान खिलाया जाता हैं | माँ दुर्गा के इन 9 स्वरूपों में किस दिन किनकी पूजा और उनके दिन के रूप में मनाया जाता है चलिए जानते हैं |

प्रथम दिन – शैलपुत्री:

नवरात्रि के पहले दिन माँ दुर्गा के पहले अवतार देवी शैलपुत्री की पूजा की जाती हैं | जिन्हे माता पार्वती के नाम से भी जाना जाता हैं और देवी शैलपुत्री को पहाड़ों की पुत्री भी कहा जाता हैं | देवी शैलपुत्री का वाहन बैल हैं | 

द्वितीय दिन – ब्रह्मचारिणी:

नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती हैं और इस दिन हम माँ दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरुप की पूजा-अर्चना करते हैं | संस्कृत में ब्रह्म शब्द का अर्थ तपस्या होता हैं | इस स्वरुप की पूजा अर्चना करके हम माँ दुर्गा के अनंत स्वरुप को जानने के बारे में जानने का प्रयास करते हैं |

तृतीय दिन – चंद्रघंटा:

नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती हैं |  माँ चंद्रघंटा का स्वरुप चन्द्रमा की तरह होने के कारण इनको चंद्रघंटा नाम दिया गया हैं | चंद्रघंटा स्वरूप में माँ दुर्गा की 10 भुजाएं और माथे पर आधा चन्द्रमा भी हैं |  इस दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से हमारे मन में उत्पन्न द्वेष, घृणा, ईर्ष्या और शरीर में मौजूद नकारात्मक शक्तियों से से लड़ने का साहस मिलता हैं |

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चतुर्थ दिन – कूष्माण्डा:

कूष्माण्डा माँ दुर्गा का चौथा अवतार हैं और चौथे दिन माँ दुर्गा के इन्ही स्वरुप की पूजा की जाती हैं | माँ दुर्गा के इस रूप को सृष्टि का जनक भी माना जाता हैं | इस दिन माँ कूष्माण्डा की पूजा आराधना करने से हमें अपने आप को उन्नत करने और अपने मस्तिष्क की सोचने की शक्ति को शिखर पर ले जाने में में मदद मिलती है।

पंचम दिन – स्कंदमाता:

नवरात्रि के पांचवे दिन माँ दुर्गा के पांचवे स्वरूप माँ स्कंदमाता की पूजा की जाती हैं | स्कंदमाता को भगवान कार्तिकेय की माता के रूप में भी जाना जाता हैं | स्कंदमाता की पूजा अर्चना करने से हमारे भीतर के व्यावहारिक ज्ञान को बढ़ाने का आशीर्वाद प्राप्त होता है जिससे हम व्यावहारिक चीजों से निपटने में सक्षम होते हैं।

षष्ठम दिन – कात्यायनी:

माँ दुर्गा के छटवां स्वरुप माँ कात्यायनी का हैं और इस दिन माँ दुर्गा के इस स्वरुप की पूजा अर्चना की जाती हैं | इनका नाम कात्यायनी इस लिए पड़ा क्योंकि इन्होने कात्यान ऋषि के घर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया था | माँ कात्यायनी की पूजा करने से हमारे अंदर मौजूद नकारात्मक शक्तियां ख़त्म हो जाती हैं |

सप्तम दिन – कालरात्रि:

नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाती हैं | माँ कालरात्रि का यह रूप बेहद ही विशाल और भयंकर हैं | माँ कालरात्रि को काल का नाश करने वाली देवी के रूप में जाना जाता हैं | माँ कालरात्रि का पूरा शरीर काले और का हैं और बल पूरी तरह से बिखरे हुए हैं | माँ कालरात्रि का वाहन गधा हैं | इस दिन माँ कालरात्रि की पूजा करने से यश, वैभव और  प्राप्ति होती हैं |

अष्टम दिन – महागौरी:

नवरात्रि का आठवां दिन माँ महागौरी के दिन के रूप में मनाया जाता हैं | यह माँ दुर्गा का आठवां स्वरुप हैं जिनकी पूजा आठवें दिन की जाती हैं |पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि शंकर भगवान के लिए कठोर तप करने के कारण इनका शरीर काला हो गया था। जिसे शिव भगवान ने प्रसन्न होकर गंगा जल से धोया था और इनका शरीर गौर वर्ण का हो गया था और इसी कारण इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है। इस दिन महागौरी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं |

नवम दिन – सिद्धिदात्री 

माँ दुर्गा का नवां और अंतिम स्वरुप माँ सिद्धिदात्री के दिन के रूप में मनाया जाता हैं | इस दिन माँ के सिद्धिदात्री स्वरुप की पूजा-अर्चना की जाती हैं | माँ सिद्धिदात्री की पूजा आराधना करने से हमारे अंदर एक ऐसी क्षमता उत्पन्न होती है जिससे हम अपने सभी कार्यों को आसानी से कर सकें और उनको पूर्ण कर सकें।

क्यों मनाई जाती हैं नवरात्रि ?

नवरात्रि का त्यौहार वैदिक काल से ही बड़े धूमधाम और हर्सोल्लास के साथ मनाया जाता हैं और इस त्यौहार के शुरू होने की कुछ प्रचलित कथाएं भी हैं जैसे –

माँ दुर्गा और महिषासुर की कथा :

इससे जुडी पौराणिक कथा यह हैं की महिषासुर नाम का एक बहुत ही शक्तिशाली राक्षस था और उसकी इच्छा थी की वह अमर हो जाये और उसी इच्छा के चलते उसने ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या की। ब्रह्माजी उसकी तपस्या से खुश हुए और उसे दर्शन देकर कहा कि उसे जो भी वर चाहिए वो मांग सकता है। महिषासुर ने अपने लिए अमर होने का वरदान मांगा। 

महिषासुर की ऐसी बात सुनकर ब्रह्मा जी कहते हैं वत्स, जो इस संसार में पैदा हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है। इसलिए जीवन और मृत्यु को छोड़कर जो चाहो मांग लो। ऐसा सुनकर महिषासुर ने कहा, ठीक है ब्रह्मदेव, फिर आप मुझे ऐसा वरदान दीजिए कि मेरी मृत्यु ना तो किसी देवता या असुर के हाथों हो और ना ही किसी मनुष्य के हाथों और अगर हो तो किसी स्त्री के हाथों हो। 

महिषासुर को यह वरदान देकर ब्रह्मा जी वहां से चले गए | कुछ ही समय में महिषासुर राक्षसों का राजा बन गया उसने देवताओं पर आक्रमण कर दिया जिससे देवता घबरा गए। हालांकि उन्होंने एकजुट होकर महिषासुर का सामना किया जिसमें भगवान शिव और विष्णु ने भी उनका साथ दिया, लेकिन महिषासुर के हाथों सभी को पराजय का सामना करना पड़ा और संपूर्ण देवलोक पर महिषासुर का राज हो गया।

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राक्षसों का राजा महिषासुर से अपनी रक्षा करने के लिए सभी देवताओं ने भगवान विष्णु के साथ आदि शक्ति की भी आराधना की और सभी देवताओं की शक्तियां एकत्र हुई और उन सभी के शरीर से एक दिव्य और चमत्कारिक रोशनी निकली जिसने एक बेहद खूबसूरत अप्सरा के रूप में देवी दुर्गा का रूप धारण कर लिया।

देवी दुर्गा को देख महिषासुर उन पर मोहित हो गया और उनसे शादी करने का प्रस्ताव सामने रखा। बार बार वो यही कोशिश करता। देवी दुर्गा मान गईं लेकिन एक शर्त पर..उन्होंने कहा कि महिषासुर को उनसे लड़ाई में जीतना होगा। महिषासुर मान गया और फिर युद्ध शुरू हुआ जो 9 दिनों तक चला था और दसवें दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर का अंत कर दिया…और तभी से ये नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।

भगवान राम की कथा 

इससे जुडी पौराणिक कथा यह हैं कि भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण एवं अपने प्रिय भक्त हनुमान एवं पूरी वानर सेना के साथ मिलकर रावण से युद्ध करने से पहले युद्ध में विजय प्राप्ति के लिए माँ दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनकी 9 दिनों तक पूजा अर्चना की थी। 9 दिन पूजा करने के बाद भगवान श्री राम ने दसवें दिन रावण की सेना पर चढाई कर दी और उस युद्ध में रावण का वध किया |

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तभी से प्रचलित है कि पहले 9 दिनों को नवरात्रि के रूप में माँ दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है और दसवें दिन रावण का वध होता है इसलिए इसे दशहरा के नाम से जानते हैं। दशहरा के दिन रावण का वध होता है इसलिए इस दिन देशभर में रावण के पुतलों को जलाकर एवं अच्छाई की बुराई पर जीत के रूप में उत्सव मनाया जाता है।

2023 में नवरात्रि कब हैं ?

2023 में नवरात्रि का त्यौहार 14 अक्टूबर रात्रि 11 बजकर 24 मिनट से 24 अक्टूबर 2023 तक मनाया जायेगा | 

निष्कर्ष (Conclusion) 

हमने इस पोस्ट में आपको “नवरात्रि“के बारे में बताने का प्रयास किया | मुझे उम्मीद है की आपको मेरा यह लेख जरूर पसंद आया होगा | अगर आपके मन में इस Article को लेकर कोई भी Doubts है या आप चाहते है की इसमें कोई सुधार हो तो आप हमें नीचे दिए Comment करके बता सकते हैं | जहाँ पर आपकी परेशानी को हल करने की कोशिश हमारी पूरी टीम करेगी | अगर आपको हमारा पोस्ट पसंद आया तो आप हमारी इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा Social Media पर Share भी कर सकते हैं |

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Snehil Goyal

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