Bhai Dooj 2023: Bhai Dooj kab manaya jata hai

आज हम भाई दूज क्यों मनाया जाता है और कब मनाया जाता है ? के बारे में बताने जा रहे है भाई दूज के बारे में जानना है तो हमारे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े. हम आपको अपने इस आर्टिकल के माध्यम से आखिर Bhai Dooj 2023: Bhai Dooj kab manaya jata hai?

भाई दूज का त्योहार भाई- बहन के अटूट रिश्ते को समर्पित होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को पड़ता है. कई जगहों पर इस त्योहार को यम द्वितीय के नाम से भी जाना जाता है. इस साल भाई दूज कल यानी 15 नवंबर को मनाया जाएगा.

कार्तिक महीने में पड़ने वाले त्योहारों और पर्व का विशेष महत्व होता है. भाई बहन को प्रेम को दर्शाने वाले त्योहार रक्षाबंधन की तरह ही भाई दूज का यह पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. भाई दूज शुभ दिन पर भाई को तिलक लगाने और खाना खिलाने की मान्यता है. साथ ही इस दिन तिलक लगाने के बाद भाई को नारियल भेंट करने की भी परंपरा है. हिंदू धर्म में हर किसी को त्योहार को मनाने के पीछे कोई न कोई पौराणिक कथा जरूर जुड़ी होती है. ऐसे ही भाई दूज के दिन नारियल भेंट करने के पीछे भी एक कथा छिपी है.

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भाई दूज क्या है?

Bhai Dooj 2023: भाई दूज का शाब्दिक अर्थ दो शब्दों भाई और दूज से मिलकर बना है। ‘भाई’ का अर्थ है भाई और ‘दूज’ अमावस्या के निकलने का दूसरा दिन है। यह दिवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है। इसे भाई दूज (उत्तरी भारत), भाऊ बीज (महाराष्ट्र और गुजरात में) या भाई फोंटा (बंगाल) भी कहा जाता है। इस दिन भारतीय महिलाएं अपने भाइयों की लंबी उम्र और खुशियों के लिए प्रार्थना करती हैं। बहनें अपने भाइयों की सलामती की प्रार्थना करते हुए उनके माथे पर तिलक लगाती हैं। बदले में पुरुष अपनी बहनों को उपहार देते हैं।

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नारियल देने की परंपरा

हिंदू धर्म की किसी भी पूजा में नारियल का एक विशेष महत्व होता है और भाई दूज के पावन पर्व पर इसका महत्व अधिक बढ़ जाता है. इस दिन नारियल भेंट करने के पीछे यह भी मान्यता है कि जो भी बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर उन्हें नारियल का गोला देती हैं, इससे उनके भाईयों का स्वास्थ्य हमेशा ठीक रहता है, इसलिए इस दिन नारियल देने की परंपरा है. साथ ही यह भी माना जाता है कि इस दिन नारियल देना बहुत शुभ होता है, जिससे भाई बहन के बीच का प्रेम और स्नेह सदैव बना रहता है. कहा जाता है कि नारियल देने से भाइयों की आयु लंबी होती है.

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क्या है पौराणिक कथा?

पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्य देव की पत्नी संज्ञा की दो संतानें थीं. पुत्र यमराज और पुत्री यमुना. बहन यमुना अपने भाई यमराज से बहुत स्नेह करती थीं और अपने घर आने के लिए आग्रह करती थीं, लेकिन अपने कर्मकार्य में व्यस्त रहने के कारण यमराज अपनी बहन के घर नहीं जा पाते थे. एक बार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को बहन यमुना के आमंत्रित करने पर यमराज उनके घर पहुंचे. बहन के घर जाने की खुशी में यमराज ने एक दिन के लिए नरक के निवासियों को मुक्त कर दिया था.

यमराज के घर पहुंचने पर यमुना ने भाई का बहुत आदर सत्कार किया और स्वागत में तरह तरह के व्यंजन भी बनाएं और यमराज के मस्तक पर तिलक लगाया. जब यमराज यमुना के घर से चलने लगे तो उन्होंने बहन से मनचाहा वर मांगने के लिए कहा. बहन यमुना ने मनचाहा वर मांगने के बजाय यमराज से कहा, “भैया मुझे यह वचन दीजिए कि आप हर साल मेरे घर आया करेंगे”. यमराज ने बहन को ये वचन दिया जिसके बाद से ही भाई दूज को परंपरागत रुप से मनाया जाता है.

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यम-यमुना की कहानी

Bhai Dooj 2023: शास्त्रों के अनुसार भगवान सूर्य नारायण और संज्ञा के दो संतानें- एक पुत्र यमराज और दूसरी पुत्री यमुना थी। मगर एक समय ऐसा आया जब संज्ञा सूर्य का तेज सहन कर पाने में असमर्थ होने के कारण उत्तरी ध्रुव में छाया बनकर रहने लगी। जिसके कारण ताप्ती नदी और शनिदेव का जन्म हुआ। उत्तरी ध्रुव में बसने के बाद संज्ञा (छाया) का यम व यमुना के साथ व्यवहार में अंतर आ गया। इससे व्यथित होकर यम ने अपनी नगरी यमपुरी बसाई। वहीं यमुना अपने भाई यम को यमपुरी में पापियों को दंड देते देख दु:खी होती, इसलिए वह गोलोक में निवास करने लगीं लेकिन यम और यमुना दोनों भाई-बहन में बहुत स्नेह था।

इसी तरह समय व्यतीत होता रहा, फिर अचानक एक दिन यम को अपनी बहन यमुना की याद आई। यमराज अपनी बहन यमुना से बहुत प्रेम करते थे, लेकिन काम की व्यस्तता के चलते अपनी बहन से मिलने नहीं जा पाते थे। फिर कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया के दिन यमुना ने भाई यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उन्हें अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया। ऐसे में यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता। बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है। बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

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यमुना ने स्नान के बाद पूजन करके, स्वादिष्ट व्यंजन परोसकर यमराज को भोजन कराया। यमुना द्वारा किए गए इस आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया। फिर यमुना ने कहा कि, ‘हे भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो और मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर-सत्कार करके टीका करे, उसे तुम्हारा भय न रहे।’ यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की ओर प्रस्थान किया। तभी से इस दिन से ये पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है। इसी कारण ऐसी मान्यता है कि भाईदूज के दिन यमराज तथा यमुना का पूजन भी अवश्य करना चाहिए।

कैसे हुई नारियल देने की शुरुआत?

यमराज को विदा करते समय बहन यमुना ने उन्हें नारियल का गोला भेंट किया. जब यमराज ने नारियल भेंट करने के पीछे की वजह पूछी तो यमुना ने कहा, “यह नारियल आपको मेरी याद दिलाता रहेगा.” जिसके बाद से ही इस दिन नारियल देने की परंपरा है. मान्यता है कि जो भी भाई इस दिन अपनी बहन के घर जाकर उनका आतिथ्य स्वीकार करेगा और जो भी बहन अपने भाई के घर बुलाकर भोजन कराएगी, उन्हें यमराज का भय नहीं सताएगा. इस दिन जो भी भाई बहन यमुना नदी में एक साथ डुबकी लगाएंगे, उन्हें यम के प्रकोप से छुटकारा भी मिलेगा. भाई दूज के दिन यमुना में डुबकी लगाने से व्यक्ति के पाप भी धुल जाते हैं.

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निष्कर्ष (Conclusion)

हमने इस पोस्ट में आपको “Bhai Dooj 2023: Bhai Dooj kab manaya jata hai” के बारे में विस्तार से बताया | मुझे उम्मीद है की आपको मेरा यह लेख जरूर पसंद आया होगा | अगर आपके मन में इस Article को लेकर कोई भी Doubts है या आप चाहते है की इसमें कोई सुधार हो तो आप हमें नीचे दिए Comment करके बता सकते हैं | जहाँ पर आपकी परेशानी को हल करने की कोशिश हमारी पूरी टीम करेगी | अगर आपको हमारा पोस्ट पसंद आया तो आप हमारी इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा Social Media पर Share भी कर सकते हैं |

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Snehil Goyal

नमस्कार दोस्तों, मैं स्नेहिल हिंदी अपडेट (Hindi Update) का संस्थापक हूँ, Education की बात करूँ तो मैं Graduate हूँ, मुझे बचपन से ही लिखने का काफी शौक रहा हैं इसलिए यहाँ पर मैं नियमित रूप से अपने पाठकों के लिए उपयोगी और मददगार जानकारी शेयर करता रहता हूँ | हमारे ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद!

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